मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

सभी को इसे Copy/Share करने की स्वतंत्रता है !

कोई कापीराइट नहीं ..........

Tuesday 25 June 2013

संगीत



जय जिनेन्द्र बंधुओं ! प्रणाम ! नमस्कार !शुभ संध्या !
सुख के बिंदु से ,उब गया था यह
दुःख के सिन्धु में डूब गया था यह
कभी हार से सम्मान हुआ इसका
कभी हार से अपमान हुआ इसका
कहीं कुछ मिलने का लाभ मिला इसे
कहीं कुछ मिटने का क्षोभ मिला इसे
कहीं सगा मिला , कहीं दगा

भटकता रहा अभागा यह
परन्तु आज
यह सब वैषम्य
मिट से गए हैं
जब से मिला यह
मेरा संगी संगीत है
स्वस्थ जंगी जीत है
आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महा मुनिराज मूक माटीमें

No comments:

Post a Comment