मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

सभी को इसे Copy/Share करने की स्वतंत्रता है !

कोई कापीराइट नहीं ..........

Sunday 23 June 2013

बदले का भाव



जय जिनेन्द्र बंधुओं ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ संध्या !

बदले का भाव
वह दलदल है
कि जिसमे
बड़े बड़े बैल ही क्या
बलशाली गजदल तक
बुरी तरह फंस जाते हैं
और गल कपोल तक
बुरी तरह धंस जाते हैं !
बदले का भाव
वह अनल है
जो जलाता है
तन को भी चेतन को भी
भव-भव तक !
बदले का भाव
वह राहू है
जिसके
सुदीर्घ विकराल गाल में
छोटा सा कवल बन
चेतन स्वरुप भानु भी
अपने अस्तित्व को खो देता है !
 आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महा मुनिराज “मूक माटी” में 

No comments:

Post a Comment