मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

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कोई कापीराइट नहीं ..........

Wednesday 3 July 2013

चेतन भूलकर तन में फूले



जय जिनेन्द्र बंधुओं ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ संध्या !

सीप का नहीं ,मोती का
दीप का नहीं ,ज्योति का
सम्मान करना है अब
चेतन भूलकर तन में फूले
धर्म को भूलकर धन में झूले
सीमातीत काल व्यतीत हुआ
इसी मायाजाल में
अब केवल
अविनश्वर तत्व को समीप करना है  
समाहित करना है
अपने में बस ......
आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महा मुनिराज मूक माटीमें

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