मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

सभी को इसे Copy/Share करने की स्वतंत्रता है !

कोई कापीराइट नहीं ..........

Monday 22 July 2013

“बुद्धियर्स्य बलं तस्य”



जय जिनेन्द्र बंधुओं ! प्रणाम ! नमस्कार !शुभ संध्या !

“बुद्धियर्स्य  बलं तस्य” यानि जिसके पास विवेक है ,युक्ति है , वही संसार के पेचीदे फंदों को सुलझा कर स्वतत्र हो सकता है ! मन और इन्द्रियों की बेलगाम दौड़ को युक्ति से रोका जाएगा तभी वे हमारे अनुकूल होकर बाधक के स्थान पर साधक हो जायेंगे !

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