मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

सभी को इसे Copy/Share करने की स्वतंत्रता है !

कोई कापीराइट नहीं ..........

Friday 5 July 2013

पर को परख रहे हैं



जय जिनेन्द्र बंधुओं ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ संध्या !

पर को परख रहे हैं
अपने को तो परखो ....जरा
परीक्षा लो अपनी अब
बजा–बजा कर देख लो स्वयं को
कौन सा स्वर उभरता है वहां ?
सुनो उसे अपने कानों से
काक का प्रलाप है , या
गधे का पंचम आलाप ?
आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महा मुनिराज मूक माटीमें

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