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Monday 1 July 2013

अपनी कसौटी



जय जिनेन्द्र बंधुओं ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ संध्या !
अपनी कसौटी पर अपने को कसना
बहुत सरल है
पर ....
कहीं कहीं निर्णय लेना बहुत कठिन है
क्योंकि अपनी आँखों की लाली
अपने को कहाँ दिखती है ?
एक बात और भी है कि
जिस का जीवन औरों के लिए
कसौटी बना हो
वह स्वयं के लिए भी बने
ऐसा कोई नियम नहीं है
ऐसी स्थिति में प्राय:
मिथ्या निर्णय लेकर ही
अपने आपको प्रमाण की कोटि
में स्वीकारना होता है !
आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महा मुनिराज “मूक माटी” में 

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