मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

सभी को इसे Copy/Share करने की स्वतंत्रता है !

कोई कापीराइट नहीं ..........

Monday 17 September 2012

ज्योतिर्मयी ........नारी


ज्योतिर्मयी ........नारी
नारी ,तेरी गरिमाओं के,
        शुष्क न दिव्य स्त्रोत ये होंगे
तेरी महिमाओं के उज्ज्वल,
            कभी न धुमिल तारे होंगे !

सरस्वती तु ,लक्ष्मी तु है ,
                चंडी तु है सदा शिवानी
शिव संवर्धक अशिव नाशिनी ,
             तेरी लीला जन कल्याणी !

मन विराट तव नभ मंडल सा ,
               तु देवी मृदु करुणा की है !
दिव्य मूर्ति तु पुण्य योग की ,
            नहीं मूर्ति अघ छलना की है !

तु बदले तो घर बदलेगा ,
          जग बदलेगा ,युग बदलेगा
जीवन के निर्माण मार्ग पर
           स्वर्ग हर्ष गदगद उछलेगा !

तुझे राक्षसी कहा किसी ने ,
        भूल गया वह पथ यथार्थ का!
अपनी दुर्बलता ,कुंठा का ,
          डाला तुझ पर भार व्यर्थ का !
मुनिश्री उपाध्याय अमर मुनि जी की “अमर क्षणिकाएं” से


No comments:

Post a Comment