मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

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कोई कापीराइट नहीं ..........

Saturday 1 September 2012

पुरुषार्थ


जीवन सेज नहीं सुमनों की,
                      सो जाओ खर्राटे मार
जीवन है संग्राम निरंतर
              प्रतिपल कष्टों की भरमार !

कहीं बिछे मिलते हैं काँटे,
                  कहीं बिछे मिलते हैं फूल
जीवन पथ में दोनों ही का
              स्वागत ,दोनों ही अनुकूल !

जीवन नौका का नाविक है ,
                 एक मात्र पुरुषार्थ महान
सुख दुःख की उत्ताल तरंगें
             कर ना सके उसको हैरान !
मुनि श्री अमर मुनि की “अमर क्षणिकाएं” से 

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