मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

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कोई कापीराइट नहीं ..........

Monday 4 March 2013

अन्त मे होगी चला चली


जय जिनेन्द्र बंधुओं ! प्रणाम ! शुभ प्रात: !
जो भोग भुक्ति से ऊबे हैं ,वही योग भक्ति मे डूबे हैं !
हमारे उज्जवल भविष्य के लिए प्रभु की आज्ञा है कि तुम व्यर्थ बेठे हो श्वासों को खोते हुए ! सही पुरुषार्थ करो ,पापों से यदि दूर होना चाहते  हो तो हस्तोपरिहस्त रखकर ध्यान की मुद्रा मे बैठ जाओ, कर्म बंधनों से मुक्त हो जाओगे ! अन्यथा सँसार जेल मे बंद हो जाओगे ! जबकि हम सभी जानते हैं कि  अन्त मे होगी चला चली .........
चार जने मिल खाट उठावें ,
रोवत ले चले डगर डगरिया !
कहे कबीर सुनो भाई साधो ,
संग चली वही सुखी लकडियाँ !

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