मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

सभी को इसे Copy/Share करने की स्वतंत्रता है !

कोई कापीराइट नहीं ..........

Tuesday 12 March 2013

Enjoy the life as it goes…


जय जिनेन्द्र बंधुओं ! प्रणाम ! शुभ प्रात: !
जब मन की टीस पहुँचती है तो आतंकवाद का अवतार होता है ! संतों ने सही कहा भी है –अति पोषण , अत्यधिक प्रेम ,वात्सल्य और अति शोषण यानि ज्यादा से ज्यादा शोषण की स्थिति पैदा करना दोनों ही खतरनाक होते हैं ! अति कहीं भी नही होनी चाहिये ! अति का यही परिणाम है ,जिससे जीवन का लक्ष्य शोध नहीं बन पाया ,बदले का भाव प्रतिशोध बन गया , जो महा अज्ञान है ! दूरदर्शिता का अभाव दूसरों के साथ –साथ अपने लिए भी घातक होता है !
मंगलमय जीवन बने ,छा जाए सुख छाँव ,
जुड़े परस्पर दिल सभी ,टले अमंगल भाव ,
यही जिन्दगी मुसीबत ,
यही जिन्दगी मुसर्रत (आनन्द),
यही जिन्दगी हकीकत ,
यही जिन्दगी फ़साना ,
जैसा भी जीवन चल रहा है ,उसमे आनन्द लो .......
This very life is a distress
This very life is a joy (pleasure)
This very life is a reality
This very life is a fiction.
Enjoy the life as it goes……

No comments:

Post a Comment