मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

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कोई कापीराइट नहीं ..........

Saturday 11 February 2012

भाग्य और पुरुषार्थ

                            भाग्य भरोसे जो जीता है वह कायर कहलाता है ! बाहुबल के भरोसे जो जीता है वह प्रसिद्द है ! बाहुबली ,क्षत्रिय कहलाता है वह ! हथेली कि लकीरों के बल पर जीना कायरता है ,और बाहुबल पर जीना वीरों का काम है ,बस इतना ही ! हथेली के बल जीते हैं कि मेरी किस्मत मे क्या लिखा है ,और पुरुषार्थी वे हैं जो कहते हैं मेरे भाग्य मे जो लिखा होगा वो होगा ! पांडव जैन दर्शन के मानने वाले थे ! क्षत्रिय थे ,बाहुबल से हम सब कुछ कर लेंगें ,और कर दिखाया उन्होंने ! खांडप्रस्थ को परिवर्तित करके इन्द्रप्रथ मे ! खांडप्रस्थ कहते हैं ,खंडहर के स्थान को ,जो उन्हें ध्रतराष्ट्र ने दिया था ! 
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                         भगवान मरते समय कम से कम इतना तो हो कि आपका नाम ले सकूँ ,बस इतना देना ज्यादा नही मांगता ! मेरा ह्रदय आपके चरणों मे लीन रहे ! भगवान के चरण मेरे ह्रदय मे तब तक विराजमान रहें ,जब तक कि निर्वाण को प्राप्त न हो जाऊं ! 
मुनि श्री 108 सुधासागर जी महाराज  "दस धर्म सुधा " मे

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