मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

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Saturday 18 February 2012

मिथ्यात्व रुपी भुजंग और कषाय रुपी नागिन

          बड़े बड़े सर्प चन्दन के वृक्ष से लिपटे रहते हैं ,क्योंकि चन्दन की सुगन्ध सबसे ज्यादा अच्छी लगती है सर्प को ! सर्प वृक्ष से जाकर लिपट जाते हैं और इतने मस्त हो जाते हैं कि यदि उनको खींचोगे तो वो टूट जायेंगें ,लेकिन वृक्ष को छोड़ने वाले नही ! उसी प्रकार मिथ्यात्व रुपी भुजंग और कषाय रुपी नागिन हमारी आत्मा से ऐसे चिपक गयी है कि यदि हम खींचते हैं तो टूटना पसन्द करते हैं ,लेकिन छोडना नही !
मुनि श्री 108 सुधासागर जी महाराज "दस धर्म सुधा " मे 

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