मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

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कोई कापीराइट नहीं ..........

Saturday 19 January 2013

दीनता व अहंकार

जय जिनेन्द्र बंधुओं ....शुभ प्रात: प्रणाम 

 
जब मन में दीनता जागे ,तो अपने से नीचे देखो –तुम्हारा आसन कितना ऊँचा है ! जब मन में अहंकार का भाव उठे तो अपने से ऊपर देखो कि सँसार में तुम तो एक नगण्य से  मानव हो  , जैसे अगाध समुद्र में एक जल कण !

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