मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

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Wednesday 30 January 2013

समुद्र एवं कुआँ


मित्रों जय जिनेन्द्र ....प्रणाम शुभ प्रात: !
समुद्र एवं कुआँ
समुद्र का पानी खारा होता है इसलिए किसी की प्यास नही बुझाता , कुआँ छोटा होता परन्तु सबको मीठा पानी देकर प्यास बुझाता है !
 इसलिये समुद्र की तरह गम्भीर बनो परन्तु खारे नही ,कुएँ  के पानी की तरह मीठे बनो ,समुद्र की तरह बड़े बनो ,कुएँ  की तरह छोटे नही !
आर्यिका आस्था श्री माताजी

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