मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

सभी को इसे Copy/Share करने की स्वतंत्रता है !

कोई कापीराइट नहीं ..........

Tuesday 7 January 2014

न कोई आपका मित्र है न ही कोई शत्रु !

जय जिनेन्द्र दोस्तों ! भाइयों और बहनों ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ प्रात: !

न कोई आपका मित्र है न ही कोई शत्रु ! सब कुछ कार्य और कारण के प्रभाव से हैं ! बैरी का भी उपकार कर देने से , मन से सम्मान करने से मित्र बन सकता है व मित्र को भी जरूरत के समय , कष्ट के क्षण में समुचित सांत्वना भी न देने से वही मित्र शत्रु का भी रूप ले सकता है !


बाहर में जो घटता है वह अंतर्जगत की घटना है ! बाहर में मात्र अभिव्यक्ति हो रही है ,जो बाहर चल रहा है वह पहले अंतर्जगत में घटित होता है ! 

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