मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

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कोई कापीराइट नहीं ..........

Monday 13 January 2014

एकान्त



जय जिनेन्द्र दोस्तों ! भाइयों और बहनों ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ संध्या  !

प्रत्येक वस्तु के दो पक्ष होते हैं ! मनुष्य की दृष्टि पूर्वाग्रह से ग्रसित होने के कारण अक्सर एक ही पक्ष पर टिकती है !किसी एक ही पक्ष को देखना ,उसी का आग्रह रखना एकान्त है ! आज विश्व में द्वंदात्मक स्थिति का मूल कारण एकांत ही है ! जहाँ जहाँ भी एक पक्षीय दृष्टि होगी ,वहाँ वहाँ ही कलह की सम्भावना बढ़ जायेंगी ! किसी एक पक्ष से वस्तु पूर्ण नही हो सकती ! दो पक्ष हर पूर्ण वस्तु की वास्तविकता है ! फिर दो पक्षों के स्वीकार्य में संकोच क्यों ?

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