मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

सभी को इसे Copy/Share करने की स्वतंत्रता है !

कोई कापीराइट नहीं ..........

Wednesday 15 January 2014

जीवन क्षणभंगुर है ,अनित्य है

जय जिनेन्द्र दोस्तों ! भाइयों और बहनों ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ संध्या  ! 


जीवन क्षणभंगुर है ,अनित्य है ! जीवन की क्षणभंगुरता और अनित्यता हमारे जीवन का लक्ष्य नही है ! अनित्यता और क्षणभंगुरता का उपदेश केवल इसलिए है कि हम जीवन में और धन वैभव में ,सुख सुविधाओं में आसक्त न बनें ! आसक्ति का न होना ही भारतीय संस्कृति की साधना का मूल लक्ष्य है ,परम उद्देश्य है ! 

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