मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

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कोई कापीराइट नहीं ..........

Sunday 12 January 2014

सत्य

जय जिनेन्द्र दोस्तों ! भाइयों और बहनों ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ प्रात: !


सत्य की निर्मल पावन धारा सर्वप्रथम मन में बहनी चाहिए ,फिर वचन में और फिर उसके बाद आचरण में ! यदि मन में अलग विचारधारा चल रही है ,वाणी से अलग विचार उगले जा रहे हैं और आचरण दुसरे ही रूप में किया जा रहा है तो वस्तुत: वह व्यक्ति सत्यनिष्ट नही है ! सत्य जब तक जीवन के अणु अणु में व्याप्त नही होता तब तक उसमे चमत्कार घटित नही हो सकता ! 

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