मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

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कोई कापीराइट नहीं ..........

Saturday 11 January 2014

चंचलता

जय जिनेन्द्र दोस्तों ! भाइयों और बहनों ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ प्रात: !


चंचलता व्यक्ति को बाह्य जगत की और खींचती है ! चंचलता कम होती है तो एक नए वातावरण में जीने का अवसर मिलता है ! शरीर , वाणी और मन की चंचलता समाप्त हो जाए तो एक नयी दृष्टि ,एक नया दृष्टिकोण ,एक नयी दुनिया और जीवन में एक नयी दिशा का पदार्पण होता है !    

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