मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

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कोई कापीराइट नहीं ..........

Saturday 1 March 2014

शुभ भाव

जय जिनेन्द्र दोस्तों ! भाइयों और बहनों ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ संध्या ! 

अपने अंतर्मन में शुभ भावों के बीज डालते रहिये ! कभी न कभी वे सुयोग पाकर सत्कर्म के रूप में अंकुरित होंगे ही ! जैसे मेघ से पानी बरसने पर धरती के गर्भ में पड़े बीज वर्षा का संयोग पाकर अंकुरित हो जाते हैं ! 

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