मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

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कोई कापीराइट नहीं ..........

Tuesday 4 March 2014

हास्य

जय जिनेन्द्र दोस्तों ! भाइयों और बहनों ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ  प्रात: !

अच्छा हास्य वही है जिस पर  आमने सामने के दोनों मुखकमल खिल उठें ! दोनों और ही नही आसपास में भी दूर दूर तक वाह – वाह  के कहकहे गूंज उठें ! यह कहकहे देश और काल की सीमाओं को लांघते हुए हजारों हजार मीलों व हजारों हजार वर्षों को पार करते चले जाएँ !

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