मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

सभी को इसे Copy/Share करने की स्वतंत्रता है !

कोई कापीराइट नहीं ..........

Wednesday 5 March 2014

एकान्त

जय जिनेन्द्र दोस्तों ! भाइयों और बहनों ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ  प्रात: !

एकान्त साधना का अर्थ यह नही कि निर्जन वन में  अकेले रहा जाए ! मानव अंदर से शांत हो यही एकान्तता है ! मनुष्य के मन का यह स्वभाव है कि जिस प्रकार का उस का चिन्तन होता है उसी प्रकार का उसका जीवन बन जाता है !  

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