जय
जिनेन्द्र दोस्तों ! भाइयों और बहनों ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ प्रात: !
एकान्त साधना का अर्थ यह नही कि निर्जन वन में अकेले रहा जाए ! मानव अंदर से शांत हो यही
एकान्तता है ! मनुष्य के मन का यह स्वभाव है कि जिस
प्रकार का उस का चिन्तन होता है उसी प्रकार का उसका जीवन बन जाता है !
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