मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

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कोई कापीराइट नहीं ..........

Tuesday 25 March 2014

प्रभु प्रेम की सच्ची लौ

जय जिनेन्द्र दोस्तों ! भाइयों और बहनों ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ  संध्या  !

सुख दुःख की , यश अपयश की ,हानि लाभ की तूफानी आंधियां आती हैं  और चली जाती हैं ,किन्तु यदि अंतर्मन में प्रभु प्रेम की सच्ची लौ जल गयी है तो उसे ये आंधियां कभी नही बुझा सकती !


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