मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

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कोई कापीराइट नहीं ..........

Monday 10 March 2014

बल

जय जिनेन्द्र दोस्तों ! भाइयों और बहनों ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ  प्रात: !


श्रेष्ठता बल के होने में नही है ! श्रेष्ठता है बल का जनहित में प्रयोग ,सदुपयोग करने में ! किसी को बहती नदी में डुबो देने के लिए फैंक देने में क्या गौरव है ? गौरव है तूफानी नदी में डूबते हुए किसी को बचा लेने में ! अपने बल की मार से किसी को रुलाया तो क्या ?  मजा तो तब है जब किसी रोते हुए को हंसा सके आप !

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