मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

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Saturday 27 October 2012

ऊपर देख


ऊपर देख
जीवन यात्रा में भय और संकट की गहराई में मत झांको ,इससे हीन भावना जगती है ,आत्मविश्वास टूटता है ,व्यक्ति अपने आप को असहाय सा महसूस करता है ,भय से प्रताडित हो जाता है !
संकट के समय मन को डांवाडोल मत होने दो ,किन्तु अपने लक्ष्य की अनन्त ऊँचाई की ओर दृष्टि फैलाओ ,अपने आदर्शों की रमणीय कल्पनाओं से मन को आह्लादित करो ! तुम्हारा साहस दोगुना हो जाएगा व संकट छिन्न - भिन्न !
समुद्री यात्रा में एक नाव तूफ़ान के थपेड़े खा कर डगमगाने लगी ! तत्काल ही मांझी युवक रस्सी के सहारे ऊपर चढा और पाल को मजबूती से बाँधा ! जैसे ही वह रस्सी के सहारे नीचे उतरने लगा तो लहरों के आवर्तन से उथल पुथल होते समुद्र पर उसकी दृष्टि पड़ी ,समुद्र का भयंकर गर्जन सुनकर वह युवक कांप गया ! “बचाओ –मै गिर रहा हूँ” की ध्वनि उस के मुख से बरबस ही निकल पड़ी !
वृद्ध मांझी ने नीचे देखते हुए युवक की भयाक्रांत दशा देखी ,वह वहीँ से पुकार उठा ,”युवक नीचे मत देख  ,सामने नीले आकाश में उड़ते पक्षियों को देख !आँखें ऊपर रख !”
युवक ने आँखें ऊपर गडा दी ! धीरे धीरे वह सकुशल नीचे उतर आया !
देवेन्द्र मुनि जी की “खिलती कलियाँ ,मुस्कुराते फूल” से 

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