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Monday 8 October 2012

संस्मरण संस्कार शिविर के


परम पूज्य प्रज्ञा योगी दिगम्बर जैनाचार्य श्री गुप्तिनंदी जी गुरुदेव के पावन चरण रोहतक नगरी में 23 मई को पड़े ! बस फिर क्या था रोहतक में तो धर्म की लहर लुटी आई ! सभी धर्मानुरागी बंधू हर्ष और उल्लास में झूम उठे कि इस चौमासे तो धर्म रुपी मोती एवं पुण्य कमा ही लेंगें !
रोह्तक जो कि गुरुदेव कि दीक्षा भूमि है उसके भाग ही खुल गये ! महाराजश्री के आने से उनके पावन सानिध्य में विभिन्न  प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया गया एवं हमें नवग्रह शान्ति चालीसा से अवगत कराया गया ! उनके द्वारा प्रवचन तीर्थंकर कैसे बने ,चन्दन षष्टी विधान ,भाग्योदय संस्कार महोत्सव ,लक्ष्मी प्राप्ति विधान आयोजित किये गये ! गुरुदेव द्वारा रोहतक नगरी में पहली बार ९६ क्षेत्रपाल विधान का आयोजन करवाया गया ! अब बारी दसलक्षण विधान की आई जिसमे गुरुदेव द्वारा धर्म रुपी हीरे पन्ने की वर्षा की गयी !
इस दसलक्षण महाविधान एवं रत्नत्रय श्रावक संस्कार शिविर का आयोजन 19से 29  सितम्बर 2012 तक कराया गया !
सभी धर्मानुरागी मन ही मन यह सोच रहे थे कि अब तो विधान व शिविर का हिस्सा बनेगें ,व्रत पालन करेनेगें ,अरे बही उन्हें धर्म कमाने का यह अवसर गंवाना थोड़े ही था !
सभी धर्म प्रेमी श्रावक श्राविकाओं ने अपने केसरिया वस्त्र पहन कर बहुत ही भक्ति भाव से पूजा की एवं  दस धर्म के दस लक्षणों को जाना !
गुरुदेव द्वारा सुगन्ध दशमी के व्रत के अवसर पर एक कुण्ड दस मुहँ वाला विषय पर जानकारी तो मन को ही छू गयी जिसके बारे में हमें पहले तो पता ही नहीं था !
अनन्त चौदस के अवसर पर हमें पालकी शोभा यात्रा का आनन्द प्राप्त हुआ
क्षमावाणी पर्व पर गुरुदेव जी ने हमें कषायों एवं राग एवं द्वेष से दूर रहने की शिक्षा दी एवं क्षमावानी पर्व का महत्व मूल मन्त्र बताया जो कि इस प्रकार है “सबसे क्षमा ,सबको क्षमा  ओउम्  नम:”
शिविर में प्रत्येक शिविरार्थी की वेशभूषा ऐसी रखी गयी जो कि शान्ति का प्रतीक है ! मन की शान्ति प्राप्ति के लिए सफ़ेद वस्त्र से बढ़ाकर बेहत्तर क्या हो सकता था ! गुरुदेव जी के पावन सानिध्य में तो हमें रूमाल एवं केतली के रूप  में पीछी व कमंडल का पावन अनुभव प्राप्त हुआ जिससे कि मन आनंदित हो गया ! यह अनुभव तो मैंने पहली बार ही किया !
इस शिविर में हमें अपने शरीर के प्राणायाम चक्रों के बारे में अवगत कराया गया ! राजा श्रेणीक द्वारा दिगम्बर मुनि का उपसर्ग ,रानी चेलना द्वारा उपसर्ग का निवारण का दृष्टांत सुनाया गया ! हमारे मन मन्दिर  में विराजमान आदि नाथ प्रभु के दर्शन कराये गये !
सुकुमाल मुनि जी की जीवनी ,कुंडलपूर में महावीर जी का जन्म ,सीताजी का अग्नि परीक्षा एवं चन्दनबाला जी का आर्यिका दीक्षा तक का सफर अद्भुत रहा !
कहने को तो शब्द ओर भी हैं लेकिन मन करता है कि ऐसे शिविर का अनुभव गरुदेव के सानिध्य में एक बार और प्राप्त हो !
ईशा जैन   22 वर्ष
रेलवे रोड रोहतक

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