मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

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Sunday 14 October 2012

मेरा अनुभव -शुभा जैन


मेरा अनुभव
इस चातुर्मास में परम पूज्य गुरुदेव दिगंबर जैनाचार्य श्री गुप्तिनंदी जी गुरुदेव एवं संघ की दया दृष्टि रोहतक नगरी पर बरसी ! सभी धर्मानुरागी श्रावक श्राविकाओं के मन में ढोल मंझीरे बज उठे ! भक्ति की धुन सवार हो गयी !
गुरुदेव के आशीर्वाद से एक के बाद एक रंगारंग कार्यक्रम होने लगे ! स्थापना दिवस पर गुरुदेव जी ने अपने हाथों से सभी भक्त जनों को रक्षा मन्त्र एवं रक्षा सूत्र प्रदान किये ! हमें गुरुदेव की अमृतवाणी से ज्ञानमयी एवं हृदयस्पर्शी प्रवचन सुनने का सौभाग्यदायी अवसर प्राप्त हुआ ! धन्यकुमार चरित्र एवं गोमटेश बाहुबली जी के अभिषेक का अति सुन्दर दृष्टांत तो मन को ही छू गया ! सोलह्कारण पर्व में “तीर्थंकर कैसे बनें” शीर्षक से प्रवचन विशेष कृपाकारी रहे !
गुरुदेव के सानिद्ध्य में दसलक्षण महापर्व जोर शोर से मनाया गया ! जैन जति जी में तो जैसे चार चाँद ही लग गए ! गुरुदेव ने दसलक्षण महाविधान में दस धर्मों के बारे में बताया !
श्री रत्नत्रय शार्वक संस्कार शिविर तो जैसे मन मस्तिषक का दीप ही प्रज्वलित कर गया ! मैंने तो गुरुओं द्वारा मनाया गया क्षमावाणी पर्व पहली बार ही देखा ! इसी तरह दसलक्षण पर्व धूम धाम से संपन्न हुआ !
जसी तेजस्वी आचार्य गुप्तिनंदी जी हैं वैसे ही समस्त संघ ...
मुनिश्री महिमासागर की तो महिमा ही न्यारी
एक दिन छोड़ कर दो उपवास धारी !
मुनिश्री सुयशगुप्त जो जो कराते
मन्त्र जाप न्यारे न्यारे !
मुनिश्री चन्द्रगुप्त जी जो हंसमुख एवं
जिनकी है मधुर वाणी !
आर्यिका आस्था श्री जी
जो रहती हर क्षण तैयार
फिर चाहे कोई भी कार्यक्रम हो
या बालक बालिकाओं को प्रेरित करना !
धन्य्श्री माताजी जिन्होंने ऐसे गुरुवर  देकर हमें धन्य ही कर दिया !
गुरुवर का ऐसा ही पावन आशीर्वाद हमें मिलता रहे यही भावना है !
सभी को सादर जय जिनेंन्द्र
शुभा जैन   23  वर्ष  रेलवे रोड ,रोहतक


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