मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

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Monday 15 October 2012

मेरा अनुभव –गुरुदेव सिंगला


मेरा अनुभव –गुरुदेव सिंगला
मै आप सबको बताना चाहता हूँ कि आचार्य श्री ने जब से यहाँ चातुर्मास किया है मै हर रोज इनके दर्शन के लिये आता हूँ ! मेरा परम सौभाग्य है कि अग्रवाल परिवार में जन्म लेने के बाद भी मुझे 40  दिन कि उम्र से अब तक दिगम्बर गुरुओं के दर्शन किये हैं ! मैंने सबसे ज्यादा आहार दान दिया ,अभिषेक और पूजा की है ! मैंने दसलक्षण में दस दिन आलू प्याज और बाहर की चीजें खानी छोड़ी ! मै एक ही दिन दसलक्षण में आया था उसी दिन आचार्य श्री ने महावीर भगवान के जन्म के बारे में बताया था ,तब श्री चंद्रगुप्त मुनि ने अपनी मदुर वाणी में लोरी सुनाई थी तो मेरा ध्यान इतना लगा कि मै लोरी सुनते सुनते ही सों गया ! मुझे आहार देने का बड़ा शौक है जब मेरे पेपर चल रहे थे तब भी मै हर रोज आहार देने आता था ! वो पेपर दो मैंने आधे में ही छोड़ दिये थे क्योंकि गुरुदेव के आहार का समय हो गया था ! जब मै घर गया तब  मम्मी ने पूछा पपेर कैसा हुआ तो मैंने कहा पेपर तो अच्छा हुआ पर आधा छूट गया क्योंकि गुरुदेव के आहार का समय हो गया था !
अब मै इस संघ के बारे में कुछ ऐसी बातें बताना चाहता हूँ जो मुझे बहुत अच्छी लगती हैं ! सबसे पहले तो बड़े गुरुदेव ..जब मै पहली बार गुरुदेव को आहार देने आया तो मुझे सभी आंटी और अंकलों ने पीछे भगा दिया ! मै रोने लगा ,जैसे ही गुरुदेव कि नजर मुझ पर पड़ी तो गुरुदेव ने मुझे आगे बुलाकर मुझ से आहार लिया ! अब महिमा सागर जी मुनिश्री ..मै मुनिश्री के पास बहुत सारी मस्ती कर्ता हूँ और जब मुनिश्री के गेट बंद हो जाते हैं तो मै आवाज देता हूँ मुनिश्री ...और मुनिश्री गेट खोल देते हैं ! मुनिश्री सुयाश्गुप्त जी ....इनकी आँखें मुझे बहुत अच्छी लगती हैं ! क्योंकि इनकी आँखों में बड़ी ममता है ! मुनिश्री चंद्रगुप्त जी के साथ जब मै मंदिरजी जाता हूँ तो मुनिश्री मुझे मेरा हाथ पकड़कर ले जाते हैं ! जब मुनिश्री भजन गाते हैं तो मुझे बड़ा अच्छा लगता है तो मै डांस कर्ता हूँ ,इसीलिए मै चाहता हूँ कि मुनिश्री एक भजन रोज सुनाएँ ! आस्थाश्री माताजी ...जब मै पदमावती माता की आरती गाता हूँ तो माताजी सबसे पहले मुझे अपना माइक देती हैं ! धन्यश्री माताजी ....इन्होने मेरी एक बहुत गन्दी आदत छुडवाई ,मै पहले नाख़ून खाता था लेकिन अब नहीं खाता ! अन्त में मै यही कहूँगा कि गुरुओं की कृपा मुझ पर ऐसे ही बनी रहे !
गुरुदेव गुप्तिनंदी जी आये
अपने साथ न जाने कितनी खुशियाँ लाये
इन्होने यहाँ आकर सोये हुए लोगों के भाग जगाये
ऐसे गुरुदेव गुप्तिनंदी जी को हम शीश झुकाएं !
गुरुदेव सिंगला  रोहतक
8  वर्ष  

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