मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

सभी को इसे Copy/Share करने की स्वतंत्रता है !

कोई कापीराइट नहीं ..........

Sunday 7 October 2012

गुरुदेव गुप्तिनंदी जी के चरणों में विनयाजलि


गुरुदेव गुप्तिनंदी जी के चरणों में विनयाजलि
परम पूज्य आचार्य गुरुवर व समस्त संघ के चरणों में मेरा शत –शत वंदन व आप सभी को सादर जय जिनेन्द्र !
गुरुदेव जब 23 मई2012  को रोहतक आये थे तब आपका मंगल आगमन रोहतक नगर में बाबर मन्दिर जी  में हुआ तब हमें  मात्र दर्शनों का सौभाग्य मिला तभी से ही मेरे ह्रदय में परिवर्तन हुआ जैसे आपके दर्शनों ने जादू कर दिया ,उसी क्षण मन में यह भाव आया कि एक गुरु का अपने जीवन में होना कितना जरूरी है ! आपके प्रेरणा दायक प्रवचनों से प्रेरित होकर मैंने आहार व गुरु भक्ति में जाना शुरू किया जो कि आज तक व आगे भी जारी रहेगा बस यही से हमारा जीवन बदलता चला गया और अब तो ये सब हर रोज की आदत में शामिल हो गया है !
गुरुदेव ! मैंने अपने परिवार में बहुत अच्छे धार्मिक व सामाजिक  संस्कार पाए हैं ,मेरे आदरणीय श्वसुर श्री अनन्त सागर जी जिनकी देख रेख में 1991 में गंधराचार्य श्री कुंथू सागर जी एवं विशाल संघ का चातुर्मास व आपकी जैनेश्वरी दीक्षा का कार्यक्रम हुआ था ,उस समय भी मैंने सम्पूर्ण कार्यक्रमों में जैसे कल्पद्रुम विधान आदि में भाग लिया था व आपकी दीक्षा 22 july 1991 के समय भी उपस्थित थी ! रोहतक आगमन पर जब आपके दर्शन मिले तो मन को ये विश्वास ही नहीं हुआ कि ये वही सौम्य –सरल ब्रह्मचारी राजेन्द्र भैया हैं जिनको मेरे पति स्कूटर पर बैठा कर मन्दिर जी पिथवाडा के दर्शन करवा कर लाये थे ! आज वे अपने कठोर तप व विलक्षण ज्ञान और तपस्या के होते हुए हमारे आचार्य के रूप में विराजमान हैं !
गुरुदेव ! इस चातुर्मास में मैंने आपके द्वारा करवाए सभी पूजा विधान विशेषकर दसलक्षण विधान की विशेष पूजा इतने धूम धाम से व हर्षोल्लास से नाच गाकर न तो आज तक किसी ने करवाई ,और न लगता है कि आगे कोई करवा पायेगा !इसके अलावा क्षमावाणी पर्व पर आपके प्रवचन ने हम सभी का मन मोह लिया ! आपके द्वारा दिये गये मन्त्र सबसे क्षमा सबको क्षमा ओम नम: को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करुँगी !
गुरुदेव ! अब तो यह महसूस होने लगा है कि आप अगर कुछ वर्ष पहले रोहतक आये होते तो हम सब का जीवन कितना संवर गया होता ! आपका ये मंगल चातुर्मास हमारे दिलों में अंतिम समय तक अंकित रहेगा ! आपका हर पल मुस्कुराता हुआ मुखमंडल हमें प्रेरणा देता रहेगा ! भगवन जिनेन्द्र देव से यही प्रार्थना है कि आपका ये कठोर तप आपको आपके लक्ष्य तक ले जाए !
सभी को सादर जय जिनेन्द्र
स्नेह लता जैन
धर्म पत्नी श्री संजय जैन ,बाबरा मोहल्ला ,रोहतक     

No comments:

Post a Comment