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Sunday 14 October 2012

अनुभव -राजीव जैन


नमोस्तु गुरुदेव !
गुरुदेव के बारे में और कक्षा  के बारे में बताने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं ! क्योंकि जो गुरुदेव ने सिखाया है वः हमारी सोच से कहीं बहुत आगे है ! जब कक्षा लगी थी तब हमने सोचा था गुरुदेव कक्षा में योग करवाएंगें और मन्त्र वगैरा के बारे में बताएँगे पर गुरुदेव ने तो कक्षा में सभी विषयों के बारे में बताया जैसे वास्तु ,मंदिर जाने का ,दर्शन करने के मन्त्र ,बोलने के व पढने के ,जागने से सोने तक की दिनचर्या के बारे में बताया !जो हमारी सोच से बहुत बाहर था !
दसलक्षण  में पूरे संघ के साथ संगीत में भक्ति के साथ पूजा करवाना और एक –एक अर्घ के बारे में बतलाना व शाम को साक्षात दर्शन करवाकर आनंद में खो जाना ! यह अपने आप में एक अद्भुत अनुभव था ,एक अद्भुत नजारा था !
गुरुदेव के बारे में इतना कहूँगा जैसे कोई आदमी बीमार हो जाता है वह डाक्टर के पास जाता है ! डाक्टर उसे दवाई देता है और वह  पैसे देकर आ जाता है ! पर गुरुदेव  तो ऐसे डाक्टर हैं जो दवाई तो बताते हैं ,उसके साथ साथ दवाई किस समय लेनी है और कैसे लेनी है ! इस तरह हरेक चीज हमें बारीकी से बताते हैं ! जिससे हमारी जिन्दगी में हम कभी बीमार नहीं पड़ेंगें ! गुरुदेव ने हमें वह  मार्ग बताया है जिस पर हम चलते रहे तो हम भी नीचे से उठकर ऊपर बैठ सकते हैं ! यह वह  गुरुदेव  हैं जो  नीचे से ऊपर बिठाने की राह बताते हैं !आप संसार में कहीं भी किसी डाक्टर के पास चले जाओ ,वह आपका इलाज तो कर सकता है पर अपने पास बिठाने की राह नहीं बता सकता !
परम्परा के अनुसार गुरुदेव संघ के साथ चातुर्मास तो हर वर्ष करते हैं पर श्रावक को चातुर्मास में साथ रहने का मौका सालों के बाद मिलता है ! पर वह श्रावक बदकिस्मत है जो नगर में चातुर्मास होने पर भी ऐसे गुरु के चरणों में न आये !
राजिव जैन (नानक )
रोहतक

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