मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

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कोई कापीराइट नहीं ..........

Thursday 21 February 2013

जय जिनेन्द्र बंधुओं



जय जिनेन्द्र बंधुओं .......प्रणाम ! शुभ प्रात:
जो साधक मलिन मन का खिलौना बन जाता है, उसकी साधना निष्प्रभ हो जाती है !जो मन को विमल विवेक के प्रकाश में रखता है, वही अपनी इष्टसिद्धि कर सकता है!

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