मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

सभी को इसे Copy/Share करने की स्वतंत्रता है !

कोई कापीराइट नहीं ..........

Monday 25 February 2013

मेरे सभी अपराध क्षम्य हों !


जय जिनेन्द्र मित्रों ...प्रणाम ! शुभ प्रात: !
हे प्रभू  !  मेरे सभी अपराध क्षम्य हों ! आप प्रजापति हो दया निधान ! हम
 प्रजा हैं ,दया के पात्र ! आप पालक हो ,हम बालक हैं ! ये सब आपकी ही निधि है ,हमें आपकी ही सन्निधि है ,निकटता है ! आप ही एक शरण रूप हैं! 

आर्यिका माँ प्रशान्तमति माताजी “माटी की मुस्कान” मे ..गुरुदेव आचार्य विद्यासागर जी की “मुकमाटी” पर आधारित !

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