मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

सभी को इसे Copy/Share करने की स्वतंत्रता है !

कोई कापीराइट नहीं ..........

Wednesday 30 November 2011

आज का विचार 30.11.2011


आज का विचार 30.11.2011
मनुष्य का चित्त निर्मल हो जाये तो
देवत्व उससे दूर नही !
आर्यिका 105 माता स्वस्ति भुषण जी की
“एक लाख की एक एक बात “ से
सभी मुनि,आर्यिकाओं ,साधु,साध्वियों,श्रावक,श्राविकाओं
को यथोचित नमोस्तु,वन्दामी,मथे वन्दना ,जय जिनेन्द्र,नमस्कार
शुभ प्रात:

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