मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

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कोई कापीराइट नहीं ..........

Monday 28 November 2011

क्षमा रुपी शस्त्र

जिसके हाथ में क्षमा रुपीशस्त्र है ,उसका बिगाड दुर्जन 
भी नही कर सकता !समय पर क्षमा वही रख सकता है ,
जिसमे आत्मिक शक्ति का प्राबल्य हो ! कष्टों में भी 
क्षमा धर्म को नही छोडना यह आत्म विजयी के लक्षण हैं !

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