मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

सभी को इसे Copy/Share करने की स्वतंत्रता है !

कोई कापीराइट नहीं ..........

Monday 5 December 2011

तृष्णा

जिसके ह्रदय में तृष्णा का प्राबल्य है ,वही इस दुनिया का 
सबसे बड़ा भिखारी है ! रात दिन वह इधर उधर भटकता 
रहता है ,वह न तो सुख से खा सकता है और न ही सो सकता 
है अत: तृष्णा को त्याज्य ही समझना चाहिए !

No comments:

Post a Comment