मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

सभी को इसे Copy/Share करने की स्वतंत्रता है !

कोई कापीराइट नहीं ..........

Friday 2 December 2011

आत्मदमन

   आत्मदमन करने वाला ही सबको प्रिय लगता है ,
   और सबके लिये सम्माननीय बन जाता है ! जिसने 
   अपनी आत्मा का दमन कर लिया है उसने सारे 
   संसार को जीत लिया है आत्मदमन ही शान्ति 
  की प्रथम मंजिल मानी गयी है !

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