मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

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कोई कापीराइट नहीं ..........

Friday 9 December 2011

मानव जन्म

मनुष्य का जन्म चिंतामणि रत्न के सामान है ,
जैसे खोया हुआ रत्न मिलना कठिन है वैसे ही मनुष्य 
का  जन्म दुष्प्राप्य है ! अज्ञानी  मनुष्य रत्न को 
आलस्य एवं प्रमाद वश गँवा देते हैं ,ज्ञानी  जन इस 
रत्न का पूरा - पूरा लाभ उठाते हैं !
सभी मुनि,आर्यिकाओं ,साधु,साध्वियों,श्रावक,श्राविकाओं
को यथोचित नमोस्तु,वन्दामी,मथे वन्दना ,जय जिनेन्द्र,नमस्कार
शुभ प्रात:

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