मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

सभी को इसे Copy/Share करने की स्वतंत्रता है !

कोई कापीराइट नहीं ..........

Monday 9 January 2012

आज का विचार 09.01.2012



सुनने की कला आती हो तो हित,अहित,पाप,पुण्य का बोध होता है !

प्रोत्साहन प्यार और प्रशंसा के द्वारा भीतर के आत्मविश्वास को
जाग्रत किया जा सकता है !

आर्यिका 105 माता स्वस्ति भुषण जी की 
“एक लाख की एक एक बात “ से सभी मुनि,आर्यिकाओं ,साधु,साध्वियों,श्रावक,श्राविकाओं
को यथोचित नमोस्तु
,वन्दामि , मत्थेण वन्दामि ,जय जिनेन्द्र,नमस्कार
शुभ प्रात:

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