मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

सभी को इसे Copy/Share करने की स्वतंत्रता है !

कोई कापीराइट नहीं ..........

Monday 16 January 2012

प्रतिकूलता

अभी   अभी   मैंने   ये  अनुभव किया है
प्रतिकूलता मे भी सहज समरस पिया है
अनुकूलता कभी कभी स्वभाव प्रतिकूल बनाती है 
प्रतिकूलता भी भव्यों मे स्वानुभव जगाती है !

 आचार्य श्री विद्याभूषण सन्मति सागर जी "मुक्ति पथ की ओर " मे
सभी मुनि,आर्यिकाओं ,साधु,साध्वियों,श्रावक,श्राविकाओं
को यथोचित नमोस्तु ,वन्दामि , मत्थेण वन्दामि ,जय जिनेन्द्र,नमस्कार
शुभ प्रात:

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