मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

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Tuesday 24 January 2012

सच्चे गुरु हैं क्या ?

          आज से कुछ दिन पूर्व तक मेरे मन मे भी मान्यता थी कि आजकल सच्चे गुरुओं का अभाव है ,क्योंकि मै लोगों से उनकी त्रुटियों ,गलतियों के बारे मे सुनता रहता था ! कानों सुनी बातों को सही मानकर मैंने मोड लिया था मुख गुरुओं की ओर से ,परन्तु मन मे कभी कभी ये भावना जागृत होती थी कि कुछ दिन मुनियों के साथ रहकर देखा जाए कि सत्य क्या है ,कानो सुनी बात झूठ भी हो सकती है ,किसी कारणवश सुनाई भी जा सकती है ,नही किया विश्वास लोगों की बातों का  और निकल पड़ा घर से 6.9.1971 को गुरु परीक्षा हेतु ,आत्म कल्याण के लिए ! कई जगह जाकर मुनियों की चर्या देखी ,उनसे सभी प्रकार बातचीत की ,तो इस निर्णय पर पहुंचा कि यह मानना हमारा बिलकुल गलत है कि आज सच्चे गुरु हैं हि नही ! ये जरूर है कि काल दोष के कारण मुनि जंगलों मे नही रहते ,शक्ति हीन होने के कारण पर्वतों के शिखरों पर ध्यान नही करते ग्रीष्म ऋतू मे ! आज के दिगम्बर मुनि शहरों की धरमशाला मे ,मंदिरों मे रहकर आज भी घोर तपस्या करते हैं !
आचार्य श्री विद्याभूषण सन्मति सागर जी "मुक्ति पथ की ओर " मे  
सभी मुनि,आर्यिकाओं ,साधु,साध्वियों,श्रावक,श्राविकाओ को यथोचित     नमोस्तु ,वन्दामि , मत्थेण वन्दामि ,जय जिनेन्द्र,नमस्कार
शुभ प्रात:

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