मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

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कोई कापीराइट नहीं ..........

Wednesday 11 January 2012

नर जन्म

कितने  ही   जन्म  हमने  प्रभु  यूँ ही  खो दिये 
पुण्यों का फल था नर जन्म विषयोंमे खो दिये 
पंछी   बनी  है   आत्मा  पिंजरा  किया  है  बंद 
कर्मों  के जाल  तोडोगे  मिल  जाएगा  आनंद 
 आर्यिका माता स्वस्ति भुषण जी रचना  " सिद्ध पूजा " से 
 My Lord ,How many lives we have just lost (without doing anything worthwhile)  and now losing the life of being human which was  a fruit of the some good deeds done in last life ,we have to just just remove bad karmas and that will bring true happiness in our lives.
सभी मुनि,आर्यिकाओं ,साधु,साध्वियों,श्रावक,श्राविकाओं
को यथोचित नमोस्तु ,वन्दामि , मत्थेण वन्दामि ,जय जिनेन्द्र,नमस्कार

शुभ प्रात:

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