मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

सभी को इसे Copy/Share करने की स्वतंत्रता है !

कोई कापीराइट नहीं ..........

Friday 27 January 2012

महावीर व गांधी की क्षमा

             महात्मा गांधी और महावीर की क्षमा मे थोडा अंतर है ,गांधी कहते हैं कि यदि कोई तुम्हारे एक गाल पर थप्पड़ मारे तो तुम दूसरा गाल भी उसके सामने कर दो कि लो एक और थप्पड़ मार लो ,महावीर इससे आगे थे !महावीर कहते थे कि यदि तुमने दूसरा गाल आगे कर दिया तो ये तो हिंसा का ,क्रोध का समर्थन हो गया कि एक और मारिये और तुम कौन होते हो उससे ये कहने वाले लो एक और मार लो ? उसकी इच्छा होगी तो क्या गाल पर एक थप्पड़ और मारने दोगे ? पिटने वाला क्षमावान व्यक्ति कभी भी यह नही कह  सकता है कि और मारना है क्या ?इसका मतलब है कि पिटने वाला वह व्यक्ति अहंकार मे चला गया और कह रहा है कि मै इतना क्षमावानी हूँ कि तु एक और मार ले !मुझे क्रोध नही आएगा ! वह सबसे बड़ा क्रोधी है ,सबसे बड़ा अहंकारी है !
                 कुछ क्रोध वचनों से प्रकट होता है,कुछ क्रोध आँखों से प्रकट होता है , कुछ क्रोध पिटने से भी प्रकट होता है ,पिटने का शौक होना भी एक प्रकार का क्रोध को दर्शाता है ! लो मारो ,कितना मारना है ! मुझे किंचित मात्र भी क्रोध आने वाला नही है ,वह सबसे बड़ा क्रोधी है !अहंकारी है !
               महावीर कि क्षमा कहती है ,उसने एक मारना था ,मार लिया ,उसका विरोध मत करो ,गिडगिडाओ मत ,कायर मत बनो !जो उसे करना है वो करे ,लेकिन तुम अपना क्षमा धर्म मत छोडो ! यही उत्तम क्षमा है !
मुनि श्री 108 सुधासागर जी "दस धर्म सुधा " मे

No comments:

Post a Comment