मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

सभी को इसे Copy/Share करने की स्वतंत्रता है !

कोई कापीराइट नहीं ..........

Monday 16 January 2012

आज का विचार 16.01.2012



बेबसी प्रलोभन का नाम त्याग नही ,बल्कि सामर्थ्य से किया गया त्याग ही त्याग है !
आँख का अंधा संसार मे सुखी हो सकता है ,लेकिन विवेक का अंधा नही हो सकता !

आर्यिका 105 माता स्वस्ति भुषण जी की
“एक लाख की एक एक बात “ से 
सभी मुनि,आर्यिकाओं ,साधु,साध्वियों,श्रावक,श्राविकाओं
को यथोचित नमोस्तु
,वन्दामि , मत्थेण वन्दामि ,जय जिनेन्द्र,नमस्कार
शुभ प्रात:

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