मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

सभी को इसे Copy/Share करने की स्वतंत्रता है !

कोई कापीराइट नहीं ..........

Sunday 8 January 2012

धर्मात्मा

धर्मात्मा व्यक्ति  नमक के पुतले के समान ही होता है !
वह दया ,प्रेम करुणा ,अहिंसा का पुतला होता है ! उसके 
 प्रत्येक रोम रोम मे धर्म की भावना भरी हुई होती है ! 
     आचार्य 108 श्री पुष्पदंतसागर जी

सभी मुनि,आर्यिकाओं ,साधु,साध्वियों,श्रावक,श्राविकाओं
को यथोचित नमोस्तु ,वन्दामि , मत्थेण वन्दामि ,जय जिनेन्द्र,नमस्कार

शुभ प्रात:

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