मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

सभी को इसे Copy/Share करने की स्वतंत्रता है !

कोई कापीराइट नहीं ..........

Friday 13 January 2012

मुक्ति पथ

भव वन मे भूले  फिरे , मारग     मिले  न  कोय !
जो जिनवर कि शरण ले सहज मुक्तिपथ जोय !
ज्योति   ज्योति   से   ज्योति   जगाओ
बिखरे     हुए   मोतियों   को     सजाओ
समय निकलने पर फिर हाथ नही आता
 पुरुषार्थ करके जैसे भी हो इष्ट को पाओ  
आचार्य श्री विद्याभूषण सन्मति सागर जी "मुक्ति पथ की ओर " मे 

We are still searching for the right way but not able to find it,but here Aacharyashri says that the person who follows the path told by our teerthankars  reaches the destination of Moksh.
So get up ,time lost will not come back and reach your destination ,by whatever way you could get it.
सभी मुनि,आर्यिकाओं ,साधु,साध्वियों,श्रावक,श्राविकाओं
को यथोचित नमोस्तु ,वन्दामि , मत्थेण वन्दामि ,जय जिनेन्द्र,नमस्कार

शुभ प्रात:

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